एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफ़ी के नाम पर सुनील गावस्कर ने जताई नाराज़गी, उठाए अहम सवाल


सुनील गावस्कर ने ईसीबी पर निशाना साधा [स्रोत: @ankitKumar12309, @mufaddal_vohra/x.com] सुनील गावस्कर ने ईसीबी पर निशाना साधा [स्रोत: @ankitKumar12309, @mufaddal_vohra/x.com]

अपने दौर के दिग्गज भारतीय बल्लेबाज़ सुनील गावस्कर अपनी बात को बेबाकी से कहने वालों में से हैं और एक बार फिर उन्होंने अपनी भावनाओं को ज़ाहिर किया है। भारतीय दिग्गज ने इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) के पटौदी ट्रॉफ़ी का नाम बदलकर एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफ़ी करने के फैसले के ख़िलाफ़ कड़ा रुख़ अपनाया है।

गावस्कर ने एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफ़ी के नामकरण क्रम को लेकर ECB की आलोचना की

और इससे भी ज़्यादा नाराज़गी उन्हें इस बात से हुई कि जेम्स एंडरसन का नाम सचिन तेंदुलकर से पहले रखा गया। ऐसे में यह कहना कि गावस्कर नाराज़ हैं, कमतर आंकना होगा।

मिड-डे के अपने ताज़ा कॉलम में पूर्व भारतीय कप्तान ने साफ़ तौर से कहा कि भारतीय प्रशंसकों के लिए यह नई नामकरण परंपरा सही नहीं है।

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार गावस्कर ने लिखा, "ECB को इस सीरीज़ को किसी भी नाम से पुकारने का पूरा अधिकार है, लेकिन ज़्यादातर (अगर सभी नहीं) भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह देखना कष्टकारी है कि एंडरसन का नाम पहले आता है।"

गावस्कर ने बिना किसी रोक-टोक के तुलना करते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि तेंदुलकर पहले स्थान पर आने के हक़दार क्यों हैं। उन्होंने बताया कि कैसे सचिन के नाम 34,000 से ज़्यादा अंतरराष्ट्रीय रन हैं और उनकी विरासत दशकों तक फैली हुई है, जबकि एंडरसन की महानता मुख्य रूप से घरेलू परिस्थितियों तक ही सीमित है।

गावस्कर ने कहा, "जहां तक टेस्ट क्रिकेट में रनों और शतकों का सवाल है, वह नंबर एक हैं... टेस्ट क्रिकेट में विकेट लेने वालों की सूची में एंडरसन तीसरे स्थान पर हैं और वनडे क्रिकेट में उनका रिकॉर्ड तेंदुलकर जितना अच्छा नहीं है।" 

उन्होंने एंडरसन को भारतीय दिग्गज के बराबर मानने के विचार पर भी सवाल उठाते हुए कहा,

"जिमी एंडरसन एक शानदार गेंदबाज़ थे, लेकिन मुख्य रूप से अंग्रेज़ी परिस्थितियों में, और विदेशों में उनका रिकॉर्ड तेंदुलकर के रिकॉर्ड जितना अच्छा नहीं है।"

गावस्कर ने अपने ख़ास अंदाज़ के साथ भारतीय मीडिया और प्रशंसकों से भी स्क्रिप्ट बदलने और सीरीज़ को तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफ़ी के रूप में बुलाने का आह्वान किया।

गावस्कर ने पटौदी पदक के तर्क पर सवाल उठाए

विवाद यहीं ख़त्म नहीं हुआ। गावस्कर ने पटौदी मेडल सिर्फ़ विजेता कप्तान को दिए जाने के पीछे के तर्क पर भी सवाल उठाए। उनका मानना है कि आधे-अधूरे समझौते में पटौदी विरासत की भावना को दरकिनार किया जा रहा है।

गावस्कर ने लिखा, "घोषणा में कहा गया था कि सीरीज़ जीतने वाली टीम के कप्तान को पदक देकर पटौदी परिवार को सम्मान दिया जाएगा। कप्तान को क्यों और अगर सीरीज़ ड्रॉ हो गई तो क्या होगा?"

लिटिल मास्टर ने इसकी बजाय एक बेहतर विचार सुझाया: हर टेस्ट में प्लेयर ऑफ़ द मैच को पटौदी मेडल दिया जाए और प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ को पटौदी ट्रॉफ़ी दी जाए। इस तरह, पटौदी का नाम हर मैच में गूंजेगा और सिर्फ़ एक साइड नोट बनकर नहीं रहेगा।

हमेशा की तरह, सनी जी सिर्फ अपने लिए नहीं बोल रहे हैं; उनके शब्द अनगिनत भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों की भावनाओं को प्रतिध्वनित करते हैं, जो तेंदुलकर की पूजा करते हुए बड़े हुए हैं और पटौदी ट्रॉफ़ी को भारत-इंग्लैंड टेस्ट मैचों से जोड़ते हैं।

Discover more
Top Stories
Mohammed Afzal

Mohammed Afzal

Author ∙ June 23 2025, 3:30 PM | 3 Min Read
Advertisement