क्या हो अगर अगर एक बार फिर से सूर्या को टेस्ट क्रिकेट खेलने का मौक़ा मिले?
सूर्यकुमार यादव टेस्ट में वापसी करना चाहते हैं [X.com]
पूर्व नंबर 1 T20I बल्लेबाज़ सूर्यकुमार यादव ने खेल के सभी प्रारूपों में अपनी छाप छोड़ने का इरादा ज़ाहिर किया है। T20I में अपने शानदार प्रदर्शन के बावजूद, यादव का टेस्ट करियर सिर्फ एक मैच तक सीमित रह गया है- ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ 2023 बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी में पदार्पण।
9 फरवरी, 2023 को नागपुर में खेले गए अपने डेब्यू मैच में यादव ने नाथन लियोन की गेंद पर आउट होने से पहले 8 रन बनाए थे। टेस्ट क्रिकेट में उन्हें मिले सीमित मौक़ों ने प्रशंसकों और आलोचकों को उत्सुक कर दिया है कि अगर उन्हें लगातार मौक़ा दिया जाए तो वह क्या कमाल कर सकते हैं।
घरेलू प्रदर्शन और भविष्य की संभावनाएं
33 वर्षीय खिलाड़ी का फ़र्स्ट क्लास रिकार्ड ठोस तो है लेकिन असाधारण नहीं है। उन्होंने 82 मैचों में 43.62 की औसत से 5,628 रन बनाए हैं, जिसमें 14 शतक और 29 अर्धशतक शामिल हैं।
यह अनुभव, उनकी आक्रामक बल्लेबाज़ी शैली के साथ मिलकर यह सुझाव देता है कि वह भारतीय टेस्ट टीम में महत्वपूर्ण गतिशीलता और गहराई जोड़ सकते हैं।
उनका नज़रिया मध्य क्रम में आक्रामकता का एक नया स्तर ला सकता है, जो ऋषभ पंत जैसे बाकी आक्रामक खिलाड़ियों का पूरक होगा।
फिलहाल सूर्यकुमार बूची बाबू टूर्नामेंट सहित घरेलू क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, क्योंकि उनका लक्ष्य लाल गेंद के प्रारूप के लिए अपने कौशल को निखारना है। अक्टूबर तक कोई T20 अंतरराष्ट्रीय मैच निर्धारित नहीं होने के चलते यादव के पास टेस्ट क्रिकेट में अपनी क्षमता दिखाने का एक मूल्यवान अवसर है।
बूची बाबू के बाद वह दिलीप ट्रॉफ़ी में भाग लेंगे, जो टेस्ट टीम में उनकी वापसी के लिए एक बड़ा मंच साबित हो सकता है।
अगर सूर्यकुमार घरेलू सर्किट में सफल होते हैं, तो यह भारत को सबसे लंबे प्रारूप में एक बहुमुखी मैच विजेता प्रदान कर सकता है। उनके शामिल होने से टीम में लचीलापन और आक्रामक विकल्प मिलेंगे, जिससे टेस्ट मैचों के दौरान टीम के नज़रिए में संभावित रूप से बदलाव आएगा।