वो 5 मौक़े जब धोनी ने भारत के लिए अपने अंदाज़ में ख़त्म किया मैच


एमएस धोनी खेल के सबसे महान फिनिशरों में से एक हैं (X) एमएस धोनी खेल के सबसे महान फिनिशरों में से एक हैं (X)

पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों को ऐसी खुशियाँ दी हैं जो सीमाओं से परे हैं। कैप्टन कूल के नाम से मशहूर धोनी इतिहास के एकमात्र ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने हर बड़ा ICC टूर्नामेंट जीता है।

कई बार मैच को आखिरी ओवरों तक ले जाकर धोनी ने भारत को मुश्किल हालातों से बचाया है। दबाव में बेहतर प्रदर्शन करने के साथ ही MSD ने गेंद को मैदान के बाहर मारकर भारत को जीत दिलाने की अपनी क़ाबिलियत दिखलाई है।

आज, यानी 7 जुलाई को धोनी की उम्र के 43 साल पूरे होने पर आइए उनकी विरासत का जश्न मनाते हुए उन पांच मौक़ों पर नज़र डालें जब उन्होंने भारत को शर्मनाक हार से बचाया।

वो 5 मौक़े जब धोनी ने भारत के लिए मैच को अपने अंदाज़ में ख़त्म किया

5. 130 गेंदों पर 95 रन बनाम वेस्टइंडीज़, दूसरा वनडे, 2009

एमएस धोनी ने 130 गेंदों पर 95 रन बनाए (X) एमएस धोनी ने 130 गेंदों पर 95 रन बनाए (X)

26 जून 2009 को वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ जमैका के सबीना पार्क में सीरीज़ के दूसरे वनडे मैच में धोनी ने 95 रन की पारी खेलकर अपनी असाधारण बल्लेबाज़ी का नमूना दिखाया था।

इस मैच में भारत का टॉप ऑर्डर शुरू में ही लड़खड़ा गया था और वे 7/3 और बाद में 82/8 पर निराशाजनक स्थिति में आ गए थे। धोनी की लड़ाई और कौशल भारत को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में अहम रहे।

धराशायी होते हालात के बीच बल्लेबाज़ी करने आए धोनी ने पारी को संभालने की ज़िम्मेदारी संभाली और आरपी सिंह के साथ मिलकर 101 रनों की अहम साझेदारी की।

धोनी की स्ट्राइक रोटेट करने और बाउंड्री लगाने की क्षमता ने पारी को स्थिर करने में मदद की। 130 गेंदों पर 10 चौकों और एक छक्के की मदद से 95 रन की उनकी पारी ने भारत को 188 रन तक पहुंचाया और कम स्कोर पर ऑल आउट होने से बचा लिया।

4. 125 गेंदों पर 113 रन बनाम पाकिस्तान, पहला वनडे, 2012

एमएस धोनी ने अकेले ही पाकिस्तान के ख़िलाफ़ जंग लड़ी (ट्विटर) एमएस धोनी ने अकेले ही पाकिस्तान के ख़िलाफ़ जंग लड़ी (ट्विटर)

30 दिसंबर 2012 को चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम पर पाकिस्तान के भारत दौरे के पहले वनडे में धोनी ने शानदार पारी खेलकर भारत को शर्मिंदगी से बचाया था।

पाकिस्तान के शानदार गेंदबाज़ी आक्रमण के सामने भारत का टॉप ऑर्डर 29/5 के स्कोर के साथ लड़खड़ा गया था। छठे नंबर पर धोनी का आना एक अहम मोड़ था। भारी दबाव का सामना करते हुए MSD ने 125 गेंदों पर नाबाद 113 रन बनाए।

सात चौकों और तीन छक्कों की मदद से उनकी शांत और संयमित बल्लेबाज़ी ने पारी को फिर से संभाला। सुरेश रैना और आर अश्विन के साथ उनकी साझेदारियां महत्वपूर्ण रही, जिससे भारत 227/6 के कुल स्कोर तक पहुंच पाया।

3. 76 गेंदों पर 85* रन बनाम ज़िम्बाब्वे, ICC विश्व कप 2015

एमएस धोनी ने सुरेश रैना के साथ मिलकर ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ भारत को करारी हार से बचाया (X) एमएस धोनी ने सुरेश रैना के साथ मिलकर ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ भारत को करारी हार से बचाया (X)

साल 2015 के ICC क्रिकेट विश्व कप में धोनी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उन्हें क्रिकेट के सबसे महान फिनिशरों में से एक क्यों माना जाता है। ग्रुप स्टेज मैच के दौरान, ज़िम्बाब्वे ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए ब्रेंडन टेलर के शानदार शतक की बदौलत 287 रनों का चुनौती भरा स्कोर खड़ा किया।

लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत खराब रही। टीम का टॉप ऑर्डर ध्वस्त हो गया और भारत 92/4 के स्कोर पर संघर्ष करता नज़र आया। ऐसे में धोनी ने सुरेश रैना के साथ मिलकर लड़खड़ाती पारी को संभाला।

दबाव में धोनी का अनुभव और शांत व्यवहार बहुत अहम रहा। उन्होंने स्ट्राइक रोटेट की और रैना के साथ मिलकर मज़बूत साझेदारी की।

जैसे-जैसे पारी आगे बढ़ी, धोनी ने अपनी खास फ़िनिशिंग स्किल्स दिखाते हुए तेज़ी से रन बनाना शुरू कर दिया। उन्होंने सही मौक़ों पर अटैक किया और ये पक्का किया कि ज़रूरी रन रेट लगातार उनकी पहुंच में रहे।

मैच निर्णायक मोड़ पर 48वें ओवर में आया जब धोनी ने अपनी ताकत का परिचय दिया और अहम चौके लगाकर भारत को लक्ष्य के क़रीब पहुंचा दिया।

76 गेंदों पर आठ चौकों और दो छक्कों की मदद से 85 रन की उनकी नाबाद पारी दबाव में पारी को गति देने का एक बेहतरीन उदाहरण थी।

2. 52 गेंदों पर 45* रन बनाम श्रीलंका, 2013 सेल्कॉन कप फाइनल

एमएस धोनी ने असंभव परिस्थिति से भारत को त्रिकोणीय सीरीज़ जिताई (X) एमएस धोनी ने असंभव परिस्थिति से भारत को त्रिकोणीय सीरीज़ जिताई (X)

इंग्लैंड में युवा टीम के साथ चैंपियंस ट्रॉफ़ी जीतने के बाद, धोनी की टीम वेस्टइंडीज़ और श्रीलंका के साथ त्रिकोणीय सीरीज़ के लिए कैरेबियाई दौरे पर पहुंची।

पहले मैच में चोट लगने के बाद, धोनी का बाकी टूर्नामेंट में खेलना लगभग नामुमकिन लग रहा था। धोनी की ग़ैर हाज़िरी में विराट कोहली ने टीम को फ़ाइनल तक पहुंचाया। पूरी तरह से फिट न होने के बावजूद धोनी फ़ाइनल के लिए वापस लौटे।

श्रीलंका ने मुश्किल पिच पर 201 रनों का चुनौती भरा लक्ष्य रखा। उनके गेंदबाज़ों ने भारत की बल्लेबाज़ी को दबा दिया, केवल रोहित शर्मा ही 58 रन का महत्वपूर्ण स्कोर बना पाए।

धोनी को 18 ओवर में 60 रन की ज़रूरत थी। लेकिन विकेट गिरने के चलते भारत का स्कोर 152/7 हो गया था। धोनी के टॉप फॉर्म में न होने के कारण मैच हाथ से निकलता दिख रहा था।

आखिरी ओवर में भारत को जीत के लिए 15 रन चाहिए थे और एक विकेट बचा था। शमिंडा एरंगा ने पहले ओवर में डॉट बॉल फेंकी, जिससे स्कोर 5 गेंदों पर 15 रन हो गया।

लेकिन यह धोनी का चमकने का पल था। उन्होंने सिर्फ तीन गेंदों में छक्का, चौका और फिर छक्का लगाकर खेल का रुख़ पलट दिया और नाटकीय अंदाज़ में जीत हासिल कर ली।

1. 79 गेंदों पर 91* रन बनाम श्रीलंका, ICC विश्व कप 2011 फ़ाइनल

एमएस धोनी ने इस अवसर पर अच्छा प्रदर्शन किया और भारत को घरेलू मैदान पर विश्व कप जीतने में मदद की (X) एमएस धोनी ने इस अवसर पर अच्छा प्रदर्शन किया और भारत को घरेलू मैदान पर विश्व कप जीतने में मदद की (X)

2 अप्रैल को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम पर खेले गए 2011 ICC विश्व कप फ़ाइनल में धोनी ने एक शानदार और मैच जिताऊ पारी खेली जो क्रिकेट के इतिहास में दर्ज हो गई। श्रीलंका के 275 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए जब धोनी क्रीज़ पर आए तो टीम मुश्किल हालातों में थी।

भारतीय पारी के 22वें ओवर में 114/3 के स्कोर पर वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली जैसे बड़े बल्लेबाज़ पहले ही आउट हो चुके थे। फॉर्म में चल रहे युवराज सिंह से पहले कप्तान धोनी खुद पांचवें नंबर पर आए। यह एक रणनीतिक कदम था जो निर्णायक साबित हुआ।

दबाव के समय धोनी का शांत और संतुलित रवैया साफ़ था, क्योंकि उन्होंने कुशलता से स्ट्राइक रोटेट की, गैप ढूंढे और कभी-कभी शक्तिशाली शॉट लगाए।

49वें ओवर में, जब सिर्फ़ चार रन की ज़रूरत थी, धोनी ने अपने ख़ास अंदाज़ में जीत पक्की कर दी। उन्होंने नुवान कुलसेकरा की गेंद पर लॉन्ग-ऑन पर शानदार छक्का लगाया और 79 गेंदों पर नाबाद 91 रन बनाकर भारत को 28 साल बाद विश्व विजेता बनाया।


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