जब साल 2004 में धोनी ने इंडिया A के लिए खेलते हुए अपनी शानदार बल्लेबाज़ी से राष्ट्रीय चयनकर्ताओं का ध्यान खींचा- देखें
एमएस धोनी 2004 में इंडिया ए के लिए बल्लेबाजी करते हुए [इंस्टाग्राम]
महेंद्र सिंह धोनी लंबे समय से भारतीय क्रिकेट टीम का अभिन्न अंग रहे हैं। वे कई भारतीय जीत के नायक रहे हैं और अपनी टीम के लिए मैच को ख़त्म करने के कौशल को इस स्तर तक बढ़ाया है कि उन्हें इस कला में सर्वश्रेष्ठ कहा जाने लगा है।
हालांकि, अपने करियर के ज़्यादातर समय में बल्लेबाज़ी और बेहतरीन प्रदर्शन ने प्रशंसकों को MSD के एक महत्वपूर्ण पहलू, शीर्ष क्रम की बल्लेबाज़ी को भूलने पर मजबूर कर दिया। धोनी के आंकड़े आपको यह अंदाज़ा देंगे कि वह एक बेहतरीन फिनिशर तो थे ही, वनडे प्रारूप में तीसरे नंबर पर अच्छे बल्लेबाज़ भी थे।
वनडे में नंबर 3 पर धोनी का रिकॉर्ड
अगर हम वनडे में तीसरे नंबर पर उनके आंकड़े देखें तो हम पाते हैं कि उन्होंने 16 पारियों में इस पोजीशन पर बल्लेबाज़ी की है और उनमें 82.75 की औसत और 99.69 की स्ट्राइक रेट से 993 रन बनाए हैं। उनके दस शतकों में से दो इसी पोजीशन पर आए हैं और छह अर्धशतक भी इसी पोजीशन पर हैं। एक चौंकाने वाली बात यह है कि उन्होंने इस पोजीशन पर बल्लेबाज़ी करते हुए 50% बार 50 से ज़्यादा रन बनाए हैं।
संयोग से 2004 में इसी स्थान पर बल्लेबाज़ी करते हुए उन्होंने राष्ट्रीय चयनकर्ताओं का ध्यान आकर्षित किया था। धोनी उस भारत A टीम का हिस्सा थे जिसने अगस्त-सितंबर महीने में केन्या का दौरा किया था। एमएस को सीमित ओवरों की सीरीज़ में उनकी शानदार बल्लेबाज़ी के लिए प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट का पुरस्कार मिला था।
धोनी ने पाकिस्तान A की गेंदबाज़ी की धज्जियां उड़ा दीं
हाल ही में इंस्टाग्राम पर टूर्नामेंट में धोनी की बल्लेबाज़ी का एक वीडियो सामने आया है। वीडियो में वह पाकिस्तान A के गेंदबाज़ों को मैदान के हर कोने में बेमिसाल अंदाज़ में धराशायी करते नज़र आ रहे हैं। यह वीडियो 19 अगस्त को नैरोबी क्रिकेट ग्राउंड पर उनकी खेली गई पारी का है। गौतम गंभीर (100 गेंदों पर 79 रन) और एमएस (134 गेंदों पर 119* रन) की बदौलत भारत A इस मैच में 235 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रहा था, जिसे भारत ने 45 ओवर में केवल दो विकेट खोकर आसानी से हासिल कर लिया।
धोनी ने छह पारियों में 72.40 की औसत और 90.15 की स्ट्राइक रेट से 362 रन बनाकर सीरीज़ समाप्त की। विकेटकीपर बल्लेबाज़ के शानदार प्रदर्शन ने चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा और धोनी को उसी साल दिसंबर में बांग्लादेश के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना पहला मौक़ मिला।