जानें...क्या हुआ था जब पिछली बार भारत और न्यूज़ीलैंड ने चैंपियन्स ट्रॉफ़ी का फ़ाइनल मुक़ाबला खेला था
टीम इंडिया रविवार को न्यूजीलैंड से भिड़ेगी [स्रोत: एपी फोटो]
पिछले साल T20 विश्व कप जीतने के बाद भारतीय टीम एक और ICC ट्रॉफ़ी के क़रीब है। इस बार, वे रविवार को दुबई में चैंपियंस ट्रॉफ़ी 2025 के फाइनल में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ खेलेंगे। दोनों टीमें के ICC टूर्नामेंट के फाइनल में तीसरी बार आमने-सामने होने के कारण प्रतिद्वंद्विता और भी बढ़ गई है। हालांकि, न्यूज़ीलैंड ने पिछले दोनों मुक़ाबलों में जीत हासिल की है।
अगर आप याद करने की कोशिश कर रहे हैं कि आख़िरी बार भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच चैंपियंस ट्रॉफ़ी का फाइनल कब हुआ था, तो वह साल 2000 था। आइए जानते हैं उस यादगार मुक़ाबले में क्या हुआ था:
भारत बनाम न्यूज़ीलैंड - 2000 चैंपियंस ट्रॉफ़ी फाइनल
भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच चैंपियंस ट्रॉफ़ी में अक्सर मुक़ाबला नहीं होता। पिछली बार दोनों के बीच ये भिड़ंत साल 2000 में हुई थी, जब इसे ICC नॉकआउट टूर्नामेंट कहा जाता था।
दोनों टीमें ग्रुप स्टेज और नॉकआउट से गुज़रने के बाद, केन्या के नैरोबी में आमने-सामने उतरीं। न्यूज़ीलैंड के कप्तान स्टीफ़न फ़्लेमिंग ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाज़ी करने का फ़ैसला किया और भारत को बल्लेबाज़ी के लिए न्यौता दिया। टीम इंडिया की बल्लेबाज़ी की अगुआई सौरव गांगुली ने की, जो पूरे टूर्नामेंट में शानदार फ़ॉर्म में थे। उन्होंने 117 रन बनाए और सचिन तेंदुलकर के साथ 141 रनों की मज़बूत साझेदारी की।
हालांकि, इस मज़बूत शुरुआत के बावजूद भारत इसका पूरा फायदा नहीं उठा सका। स्कॉट स्टायरिस ने तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ दोनों को रन आउट करने में अहम भूमिका निभाई। बाद में नाथन एस्ले ने गांगुली को आउट किया और भारत की बल्लेबाज़ी ढ़ह गई। एक वक़्त पर 300 से ऊपर के स्कोर की ओर बढ़ते हुए भारत 264/6 के आंकड़े पर सिमट गया।
जब न्यूज़ीलैंड ने लक्ष्य का पीछा करना शुरू किया, तो भारत का पलड़ा भारी लग रहा था। क्रेग स्पीयरमैन जल्दी आउट हो गए, उसके बाद कप्तान फ़्लेमिंग चलते बने। दोनों विकेट भारतीय तेज़ गेंदबाज़ वेंकटेश प्रसाद ने लिए। नाथन एस्ले ने वापसी की कोशिश की, लेकिन उनका विकेट भारत के पक्ष में मैच का रुख़ मोड़ सकता था, हालांकि तभी क्रिस केर्न्स ने मोर्चा संभाला।
घुटने की चोट के बावजूद, जिसकी वजह से वे सेमीफाइनल से बाहर हो गए थे, केर्न्स पांचवें नंबर पर आए, जबकि कीवी टीम को जीत के लिए अभी भी 180 से ज़्यादा रनों की ज़रूरत थी। केर्न्स ने क्रीज़ पर अपना समय बिताया, और खूबसूरती से खेलते हुए लक्ष्य का पीछा जारी रखा।
केर्न्स ने अंतिम ओवर में अपना शतक पूरा करते हुए आख़िरी ओवर तक चले इस रोमांचक मुक़ाबले में विजयी रन बनाया और न्यूज़ीलैंड को पहली और एकमात्र ICC सीमित ओवरों की ट्रॉफ़ी दिलाई।