फ़िर से ज़ोनल फॉर्मेट में लौटेगा दिलीप ट्रॉफ़ी का प्रारूप
दलीप ट्रॉफी 2024 के साथ मयंक अग्रवाल (स्रोत: @ArrestDh0bi/x.com)
ऐतिहासिक दिलीप ट्रॉफ़ी अगले सत्र से अपने पारंपरिक क्षेत्रीय प्रारूप में वापस आ जाएगी, क्योंकि राज्य इकाइयों ने इस साल शुरू की गई चार-टीम संरचना पर असंतोष ज़ाहिर किया है। 2024 संस्करण, जिसमें भारत ए, भारत बी, भारत सी और भारत डी टीमें शामिल थीं, की राज्य संघों द्वारा कड़ी आलोचना की गई थी, और उन्होंने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से बेंगलुरु में अपनी वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में प्रारूप पर पुनर्विचार करने के लिए कहा।
मयंक अग्रवाल की अगुआई में भारत ए इस सीज़न में तीन मैचों में से दो जीत के साथ टूर्नामेंट का चैंपियन बना। हालांकि, इस प्रतियोगिता को बड़े पैमाने पर विफल माना गया क्योंकि यह भारत के क्रिकेट क्षेत्रों में खिलाड़ियों को समान अवसर प्रदान करने के अपने प्राथमिक उद्देश्य को पूरा नहीं कर सका।
दिलीप ट्रॉफ़ी 2024 प्रारूप की क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व की कमी के लिए आलोचना की गई
इस संस्करण के लिए, बीसीसीआई ने चार टीमों की संरचना के साथ प्रयोग किया, जो सामान्य क्षेत्रीय प्रारूप से हटकर था, जहां छह क्षेत्रों (मध्य, पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और उत्तर-पूर्व) की टीमें प्रतिस्पर्धा करती थीं।
राष्ट्रीय चयन समिति ने कई अंतरराष्ट्रीय सितारों वाली टीमों का चयन किया। हालांकि नए प्रारूप ने ध्यान आकर्षित किया, ख़ासकर ऋषभ पंत, शुभमन गिल और कुलदीप यादव जैसे बड़े नामों की भागीदारी के कारण , राज्य इकाइयों से प्रतिक्रिया काफी हद तक नकारात्मक थी।
बेंगलुरू में बीसीसीआई की वार्षिक आम बैठक के बाद राज्य इकाई के एक अधिकारी ने पीटीआई से कहा, ‘‘राज्य इकाइयों का मानना है कि इस सत्र में जिस प्रारूप का इस्तेमाल किया गया है, उसमें अपने संबंधित क्षेत्रों के खिलाड़ियों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। पारंपरिक क्षेत्रीय प्रारूप खिलाड़ियों को क्षेत्र के हिसाब से अधिक अवसर देता है और आज वार्षिक आम बैठक में यही बात कही गयी।’’
एजीएम में राज्य संघों के प्रतिनिधियों ने चिंता ज़ाहिर की है कि चार-टीम प्रारूप में सभी क्षेत्रों के खिलाड़ियों का उचित प्रतिनिधित्व नहीं हो पाता। परिणामस्वरूप, सर्वसम्मति से यह सहमति बनी कि अगले सत्र से टूर्नामेंट को अपने पारंपरिक अंतर-क्षेत्रीय प्रारूप में वापस लाया जाना चाहिए।
इस संस्करण के लिए त्याग दिया गया क्षेत्रीय प्रारूप, ऐतिहासिक रूप से विभिन्न क्षेत्रों के खिलाड़ियों को अवसर प्रदान करने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता रहा है।
क्षेत्रीय प्रारूप की वापसी के साथ, बीसीसीआई का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि अधिक खिलाड़ियों को अपना कौशल दिखाने का मौक़ा मिले। इससे राष्ट्रीय टीम के लिए चयन प्रक्रिया में काफी मदद मिलेगी।