BCCI ने किया आयु सत्यापन नियमों में बदलाव; जूनियर खिलाड़ियों के लिए दूसरी बार बोन टेस्ट की इजाज़त दी
वैभव सूर्यवंशी को उम्र धोखाधड़ी के दावों का सामना करना पड़ा था [स्रोत: @navneetrcb/x.com]
क्रिकेट बोर्ड लंबे समय से उम्र में हेराफेरी की समस्या से जूझ रहे हैं और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने एक बड़ा कदम उठाया है। हाल ही में हुई शीर्ष परिषद की बैठक में लिए गए एक बड़े फैसले में BCCI ने आधिकारिक तौर पर अपने आयु सत्यापन कार्यक्रम (AVP) में बदलाव किया है और जूनियर खिलाड़ियों के लिए दूसरे बोन टेस्ट की इजाज़त दी है।
BCCI ने आयु सत्यापन पद्धति में बदलाव किया
इस फ़ैसले का उद्देश्य बच्चों को निष्पक्ष मौक़े प्रदान करना तथा इन परीक्षणों की सटीकता के बारे में बढ़ती चिंताओं का समाधान करना है। अब तक, जूनियर क्रिकेटरों: 14-16 साल की आयु के लड़कों और 12-15 साल की आयु की लड़कियों को BCCI के आयु-समूह टूर्नामेंट में मैदान में उतरने से पहले एक बार बोन ऐज टेस्ट से गुज़रना पड़ता था।
BCCI बोन टेस्ट क्या है?
BCCI एक्स-रे के ज़रिए उनकी 'बोन ऐज' का आकलन करेगा और फिर उसमें एक साल जोड़ देगा। यह 'गणितीय उम्र' तय करेगी कि बच्चा खेलने के योग्य है या नहीं।
उदाहरण के लिए, अगर किसी लड़के की बोन ऐज 14.8 साल निकली, तो BCCI एक साल जोड़कर उसे 15.8 साल कर देगा। इससे वह अंडर-16 स्तर के लिए योग्य हो जाएगा। लेकिन इसमें पेंच है। वह अगले सत्र में अपने आप अयोग्य हो जाएगा, भले ही उसकी वास्तविक उम्र (कागज़ों पर) अभी भी 16 साल से कम हो।
लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। नए बदलाव के साथ, अगर किसी खिलाड़ी के आधिकारिक दस्तावेज़ में अभी भी उसे कट-ऑफ आयु से कम दिखाया गया है, तो वे अब दूसरा बोन टेस्ट दे सकते हैं। अगर वे पास हो जाते हैं, तो उन्हें आयु वर्ग में बने रहने की अनुमति दी जाएगी।
यह कदम उस बात को स्वीकार करता है जिस पर कई अंदरूनी लोग पहले से ही विश्वास करते थे। हड्डी परीक्षण, हालांकि वैज्ञानिक होते हैं, लेकिन हमेशा 100% विश्वसनीय नहीं होते। यह दूसरा परीक्षण इन युवा खिलाड़ियों को एक और मौक़ा देता है अगर उन्हें लगता है कि पहले परिणाम से उन्हें परेशानी हुई है।
बदलाव की ज़रूरत क्यों पड़ी?
जूनियर क्रिकेट में उम्र संबंधी धोखाधड़ी कई सालों से एक टाइम बम की तरह है। ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिनमें माता-पिता ने छोटे भाई-बहनों को बोन टेस्ट के लिए भेजने जैसी चालाकी की है, ताकि उनका पता न चले। लेकिन BCCI इस मामले में सतर्क था।
अधिकारियों को इस छद्म पहचान की रणनीति का पता तुरंत चल गया और उन्होंने इस पर कड़ी कार्रवाई की। अब, किसी भी बच्चे का एक्स-रे करवाने से पहले अपडेटेड फोटो वाला आधार कार्ड दिखाना ज़रूरी है।
BCCI का बोन टेस्ट मैदान पर कैसे काम करता है?
हर साल जुलाई और अगस्त के आसपास BCCI के प्रतिनिधि देश भर में घूमते हैं और राज्य संघों में जाकर जांच करते हैं। हर राज्य को एक स्लॉट मिलता है और खिलाड़ियों की जांच आधिकारिक अस्पतालों में की जाती है।
औसतन, हर राज्य में 40-50 लड़के और 20-25 लड़कियां इस टेस्ट से गुज़रती हैं। अब इस नए नियम के साथ, BCCI ने न केवल निष्पक्षता की एक परत जोड़ी है, बल्कि बिना किसी अन्याय के उम्र में धोखाधड़ी करने वालों पर नकेल कसने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाया है।
युवा क्रिकेटरों के लिए यह कदम संजीवनी की तरह है, जो बोन स्कैन में होने वाली ग़लतियों के कारण इस योजना से वंचित रह जाते हैं। साथ ही, इससे उम्र के साथ धोखाधड़ी करने वालों पर भी लगाम लगेगी।