'एक ख़ास संबंध...,'-बेंगलुरु टेस्ट में रचिन रवींद्र और सरफ़राज़ के शतकों पर मास्टर ब्लास्टर सचिन ने कही ये बात


बेंगलुरु टेस्ट में सरफराज खान और रचिन रवींद्र ने शतक लगाया (Source:@sachin_rt/X.com) बेंगलुरु टेस्ट में सरफराज खान और रचिन रवींद्र ने शतक लगाया (Source:@sachin_rt/X.com)

भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच पहला टेस्ट मैच उतार-चढ़ाव भरा रहा। पहले दिन बारिश के कारण खेल बाधित होने के बाद न्यूज़ीलैंड ने दूसरे दिन भारत को 46 रन पर ढ़ेर कर दिया और फिर रचिन रवींद्र ने शानदार शतक जड़ा। इसके बाद सरफ़राज़ ख़ान ने दूसरे टेस्ट में भी अपनी शानदार बल्लेबाज़ी का परिचय देते हुए टेस्ट क्रिकेट में अपना पहला शतक जड़ा।

दोनों खिलाड़ियों ने अपने नज़रिए में बहुत सकारात्मकता दिखाई और शतकों ने निश्चित रूप से विश्व क्रिकेट में उनके कद को बढ़ाने में बहुत मदद की। खेल के दिग्गज सचिन तेंदुलकर ने भी अब इन शतकों पर प्रतिक्रिया ज़ाहिर करते हुए दोनों युवाओं के लिए एक दिल को छू लेने वाली पोस्ट लिखी है। भारतीय सुपरस्टार ने उल्लेख किया कि क्रिकेट हमें अपनी जड़ों से जोड़ने का एक तरीका है और कहा कि रचिन रवींद्र का बेंगलुरु से एक विशेष संबंध है, एक ऐसी जगह जहां उनके माता-पिता और दादा-दादी हैं।

सचिन ने भारत के लिए आगे आने के लिए सरफ़राज़ की प्रशंसा की

सचिन ने सरफ़राज़ की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने भारत के लिए तब अच्छा प्रदर्शन किया जब टीम को इसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत थी। उन्होंने कहा कि दोनों युवाओं के लिए भविष्य रोमांचक है। दिलचस्प बात यह है कि रचिन और सरफ़राज़ दोनों ने टेस्ट मैच में नंबर 4 पर बल्लेबाज़ी की और रचिन ने 157 गेंदों पर 134 रन बनाए, जबकि सरफ़राज़ ने 195 गेंदों पर 150 रन बनाए।

"क्रिकेट हमें अपनी जड़ों से जोड़ता है। रचिन रविंद्र का बेंगलुरु से एक ख़ास रिश्ता है, जहां से उनका परिवार आता है! उनके नाम एक और शतक। और सरफ़राज़ ख़ान, यह आपके पहले टेस्ट शतक को बनाने का बेहतरीन मौक़ा था, जब भारत को इसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत थी! इन दोनों प्रतिभाशाली युवाओं के लिए आने वाला समय रोमांचक है।"

रविंद्र और ख़ान दोनों का बेंगलुरु से ख़ास नाता है। सरफ़राज़ ने 16 साल की उम्र में पहली बार आरसीबी के लिए आईपीएल खेला था, जबकि रचिन ने भी बेंगलुरु क्रिकेट क्लबों में काफी समय बिताया है, जहां उन्होंने अपने कौशल को निखारा। बचपन के दिनों में जब उनके माता-पिता उन्हें उनके दादा-दादी के घर ले जाते थे, तो वे वहां खूब मौज-मस्ती करते थे।

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Mohammed Afzal

Mohammed Afzal

Author ∙ Oct 19 2024, 6:25 PM | 2 Min Read
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