गंभीर युग की पहली वनडे सीरीज़ से हासिल हुई 3 अहम बातें
वनडे सीरीज के दौरान चर्चा करते हुए रोहित और गौतम गंभीर [X]
भारत के T20 विश्व कप 2024 जीतने के बाद राहुल द्रविड़ ने भारतीय मुख्य कोच का पद छोड़ दिया। गौतम गंभीर ने उनकी जगह ली। भारत के लिए यह शुरुआत शानदार रही क्योंकि भारत ने T20 सीरीज़ में श्रीलंका को उसके घरेलू मैदान पर हराया। हालांकि, वनडे सीरीज़ पूर्व विश्व कप विजेता के लिए एक झटका साबित हुई क्योंकि भारतीय टीम 2-0 के अंतर से हार गई।
हालाँकि, यह ICC चैंपियंस ट्रॉफ़ी 2025 के लिए भारत की तैयारियों में एक झटका हो सकता है, लेकिन कुछ कमियाँ हैं जिन्हें भारत इस सीरीज़ के तुरंत बाद ठीक करना चाहेगा। इस लेख में, हम भारत के मुख्य कोच के रूप में गौतम गंभीर की पहली वनडे सीरीज़ से हासिल हुई तीन प्रमुख बातों पर नज़र डालेंगे।
1.रोहित शर्मा के विकेट के बाद गति और इरादे में गिरावट
तीन मैचों की वनडे सीरीज़ के दौरान रोहित शर्मा सकारात्मक इरादे के साथ मैदान पर उतरे और अपनी टीम के लिए मंच तैयार किया। हालांकि, तीनों ही मैचों में भारत का मध्यक्रम रोहित की ओर से मिली शुरुआत का फायदा उठाने में विफल रहा। रोहित का स्ट्राइक रेट 140 से अधिक था, जबकि अगला सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइक रेट रियान पराग का 115 था, जिन्होंने केवल एक मैच खेला।
इससे हमें यह अंदाज़ा होता है कि भारतीय कप्तान के आउट होने के बाद भारतीय टीम में इरादे की कमी है। यह महत्वपूर्ण मैचों में एक गंभीर चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि इस दौरान इरादे की कमी मैच का रंग बदल रही है और विपक्षी टीम को बढ़त दिला रही है।
2. गेंदबाज़ी आक्रमण में धार की कमी
भारतीय बल्लेबाज़ी ने सीरीज़ में निराश किया, वहीं गेंदबाज़ी भी उम्मीद से कम रही। मोहम्मद सिराज, कुलदीप यादव और अक्षर पटेल जैसे अनुभवी खिलाड़ियों में धार की कमी दिखी। पूरी टीम तब अच्छा प्रदर्शन करने में विफल रही, जब टीम को उनसे इसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत थी। प्रबंधन के लिए इस मुद्दे को जल्द से जल्द हल करना महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यह बहुराष्ट्रीय टूर्नामेंट के महत्वपूर्ण खेलों में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा।
3. क्वालिटी स्पिन खेलने में नाकामी
भारतीय टीम के लिए सबसे बड़ी समस्या यह रही कि जब गेंद घूम रही थी, तब भारतीय बल्लेबाज़ों ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। तीनों ही मैचों में हमने देखा कि रोहित की ओर से अच्छी शुरुआत दिए जाने के बाद भी, जब पिच पर स्पिनरों को थोड़ी मदद और पकड़ मिल रही थी, तो भारतीय बल्लेबाज़ों को संघर्ष करना पड़ा। बेहतरीन स्पिनरों के सामने भारतीय मध्यक्रम की विफलता काफी चिंताजनक है और यह एक ऐसी कमज़ोरी हो सकती है जिसका फायदा अन्य टीमें चैंपियंस ट्रॉफ़ी 2025 के दौरान उठाना चाहेंगी, जो अगले साल पाकिस्तान में खेली खेली जाएगी।